Madhu varma

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लेखनी कविता - भैंस - बालस्वरूप राही

भैंस / बालस्वरूप राही


आंखे मीचे खड़ी खड़ी ही,
भैंस नहाती पानी में।
उसे मिला हो सब-कुछ जैसे,
मौज मनाती पानी में।

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